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pusa basmati 1718

धान की नई किस्म मचा रहीं धमाल

धान की नई किस्म मचा रहीं धमाल

हरित क्रांति की शुरुआत के दौर से अभी तक हुए अनुसंधानौं के बाद भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा दिल्ली ने धान की विश्व में धमाल मचाने वाली 1121, 1509,1637 ,1728 , 1718 के अलावा अनेक किस्में विकसित की हैं। समूचे विश्व में निर्यात होने वाली बासमती की अधिकांश किस्में पूसा संस्थान की देन हैं। 

किसान धान लगाने की तैयारी कर रहे हैं ऐसे में उन्हें यह जानना जरूरी है किस किस्म से उत्पादन अच्छा मिलेगा एवं बाजार में किस किस्म की अच्छी मांग होगी।

 

पूसा धान की 10 नई किस्में (Top10 New Varieties of Pusa Dhan)

पूसा बासमती 1509

वर्ष 2013 में यह मूर्छित इस किस्म को पंजाब एवं दिल्ली राज्य के बासमती उगाने वाले क्षेत्रों के लिए संस्तुत किया गया लेकिन यह किस्म पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान तक में अच्छा उत्पादन दे रही है। इसकी औसत उपज 50 से 60 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होती है। इसके पौधे अर्ध बोने एवं गिरने के प्रति प्रतिरोधी है। पकने पर इसके दाने झड़ते नहीं हैं। यह पर्ण झुलसा रोग, भूरा धब्बा रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है । तीव्र सुगंध, लंबा दाना एवं पकने में गुणवत्ता युक्त होने के कारण इसकी समूचे विश्व में अच्छी मांग है। 

पूसा 1612

55 से 62 कुंतल प्रति हेक्टेयर उत्पादन देने वाली यह किस्म पंजाब ,हरियाणा ,दिल्ली एवं जम्मू कश्मीर राज्य में सिंचित अवस्था में रोपाई के लिए उपयुक्त है। यह किस्म पूसा सुगंध 5 का विकसित रूप है। यह ब्लास्ट बीमारी के प्रति प्रतिरोधी है।पकने में 120 दिन का समय लेती है। इस किस्म में लीफ ब्लास्ट बीमारी के प्रतिरोधक  जीन विद्यमान हैं। पैदावार की दृष्टि से पूसा बासमती 1,  तरावड़ी एवं पूसा बासमती 1121 से अच्छी है। 

पूसा बासमती 6- 1401

पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में सिंचित अवस्था में यह किस्म 50 से 55 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है । यह मध्यम बोनी किस्म है। यह पकने पर गिरती नहीं है । दानों की समानता और पकने की गुणवत्ता के हिसाब से यह किस्म पूसा बासमती 1121 से बहुत अच्छी है। पकने पर दाना एक समान रहता है। सुगंध अच्छी है । 150 से 155 दिन में पकती है। 

उन्नत पूसा बासमती 1 -1460

पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखंड में सिंचित अवस्था मैं यह किस्म 55 से 63 कुंतल तक उपज देती है। 135 से 40 दिन में पक्का तैयार होती है। 

उषा सुगंध 5-25 11

दिल्ली पंजाब हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू कश्मीर राज्य में यह किस्म में 55 से 62 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक उपज देती है। यह  उच्च उपज देने वाली सुगंधित चावल की किस्म उत्तर  भारत में वहु फसली पद्धति के लिए उत्तम है ।सुगंधित और लंबी देने वाली यह किस्म पकाव में गुणवत्तापूर्ण है। झड़ने के प्रति सहिष्णु है। यह  भूरे धब्बे की प्रतिरोधी, पत्ती लपेटक एवं  ब्लास्ट के प्रति माध्यम प्रतिरोधी है। 125 दिन में तैयार हो जाती है। 

पूसा बासमती 1121

पंजाब हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश उत्तराखंड एवं बासमती धान उगाने वाले सभी क्षेत्रों में सिंचित अवस्था में यह किस्म 40 से 45 कुंतल प्रति हेक्टेयर उपज देती है। पकने में 140 से 45 दिन लगते हैं । इसका दाना 8 मिलीमीटर लंबा होता है जो पकने के बाद 20 मिलीमीटर तक लंबा हो जाता है। 

पूसा आर एच-10 संकर धान

पंजाब ,हरियाणा, दिल्ली ,पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में यह किस्म 65 से 70 कुंतल तक उपज देती है। यह बासमती गुण वाली धान की विश्व में प्रथम संकर किस्म है। इसका दाना अत्यधिक सुगंधित ,लंबा और पतला है जो पकने पर लंबाई में 2 गुना बढ़ जाता है । यह  110 से 15 दिन का समय लेती है। 

पूसा बासमती 1718

यह किशन पूसा बासमती 1121 को संशोधित कर बनाई गई है। यह 1121 से 15 दिन पहले पक जाती है। लंबाई उतनी ही है लेकिन यह 11 21 किस्म के मुकाबले थोड़ा कम गिरती है। रोग कम आते हैं और उपज 1121 से ज्यादा होती है। 

पूसा बासमती 1728

यह धान की 14 01  किस्म से तैयार संशोधित प्रजाति है। बीएलबी रोग नहीं आता है। उपज भी 32 कुंतल प्रति एकड़ तक आ जाती है। 

पूसा बासमती 1637

इस किस्म से  30 कुंतल प्रति एकड़ तक उत्पादन मिल जाता है। यह भी पूसा की पूर्व में विकसित किस्मों की संशोधित प्रजाति है। मुख्य रूप से पूसा बासमती एक का यह संशोधित वर्जन है और गर्दन तोड़ जैसी बीमारियों के प्रति प्रतिरोधी है।

धान की किस्म पूसा बासमती 1718, किसान कमा पाएंगे अब ज्यादा मुनाफा

धान की किस्म पूसा बासमती 1718, किसान कमा पाएंगे अब ज्यादा मुनाफा

धान की किस्म पूसा बासमती 1718 : 4 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार अधिक, किसान कमा पाएंगे अब ज्यादा मुनाफा

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा
धान की एक और किस्म विकसित की गई है जिसका नाम पूसा बासमती 1718 है। धान की इस किस्म से किसानों को अधिक फायदा मिल रहा है। यह किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक पैदावार दे रही है और धान की इस किस्में में बीमारियों का खतरा भी कम है। धान की यह किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले 4 से 5 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार अधिक देती है। इस किस्म की धान का दाना लंबा और चमकदार है एवं तना मोटा है। इस फसल से आप अच्छी पैदावार प्राप्त करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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इस किस्म की धान के लिए ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं होती। इसलिए अपने खेत में ज्यादा पानी नहीं रुकने देना चाहिए और दूसरा पानी खेत की नमीं को देखते हुए देना चाहिए।

पूसा 1718 की तैयारी :

धान की इस किस्म की बुवाई हम 14 मई से 20 जून के बीच में कर सकते हैं अगर किसी कारणवश हम बुवाई करने में विलंब कर देते हैं तो भी हम इस किस्म से अच्छा उत्पादन कमा सकते हैं।

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इसके साथ ही आप इसकी रोपाई जून के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह के बीच में कर सकते हैं। बासमती धान के लिए 4 से 5 किलोग्राम प्रति एकड़ रोपाई की आवश्यकता होती है। इस किस्म की रोपाई में क्यारियों और पौधों के बीच की दूरी पर भी ध्यान रखा जाता है। अगर हम कतार की बात करें तो कतार से कतार के बीच की दूरी 20 सेंटीमीटर इसके अलावा दो पौधों के बीच की दूरी 15 सेंटीमीटर होनी चाहिए। इसमें आप 110 किलोग्राम प्रति एकड़ नाइट्रोजन अर्थात यूरिया डाल सकते हैं। धान लगाने के 30 दिन के अंदर खेत में यूरिया डाल देना चाहिए। इसके साथ ही खेत में ज्यादा पानी ना रुकने दें और खेत की नमी को देखते हुए ही सिंचाई करें। ऐसा करने से पौधों की लंबाई ज्यादा नहीं बढ़ पाती है। जिससे धान के झड़ने की समस्या नहीं होती।

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पूसा 1718 की विशेषताएं

धान की एक किस्म पूसा 1121 का डुप्लीकेट वर्जन है। यह पूसा 1121 की तरह ही बनाई गई है लेकिन इसमें कुछ परिवर्तन किए गए हैं जैसे पूसा 1121 में लगने वाली गर्दन मरोड़ बीमारी पूसा 1718 में नहीं लगती। इसके साथ ही इस किस्म के पौधे की लंबाई कम और मोटाई ज्यादा है। जिससे इसका दाना गिरता नहीं है। पूसा 1121 का दाना हल्का लाल और पूछा 1718 का दाना हल्का पीला होता है। भारत के 7 राज्यों में किसकी खेती की जाती है जिनमें हरियाणा, पंजाब, दिल्ली, छत्तीसगढ़ आदि प्रमुख हैं। इस फसल में बीमारी ना के बराबर लगती है जिसके कारण इसमें हम कीटनाशकों का उपयोग ना भी करें तो भी कोई समस्या नहीं जाती। इसके साथ ही अगर हम उत्पादन की बात करें तो किस का उत्पादन 20 से 25 कुंटल प्रति एकड़ होता है जो कि किसानों के लिए लाभदायक होता है।

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धान की किस्म पूसा 1718, पूसा 1121 की समस्याओं को देखते बनाई गई है इससे जो समस्याएं पूसा 1121 की उत्पादन में आती थी वह 1718 के उत्पादन में नहीं आती।